खिलावन चंद्राकर 

भोपाल। भाजपा की फायर ब्रांड नेता पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती बुंदेलखंड के बड़ा मलहरा उपचुनाव के जरिए मध्य प्रदेश की सक्रिय राजनीति में वापसी कर सकती है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी पिछला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर खुद को चुनावी राजनीति से अलग कर लिया था। किंतु पिछले कुछ दिनों से बड़ी उनकी राजनीतिक सक्रियता को देखते हुए माना जा रहा है की वह मध्य प्रदेश की मुख्यधारा से जुड़ कर आगे की राजनीतिक सफर तय कर सकती हैं।                                            

यहां से कांग्रेस के प्रद्युमन सिंह लोधी कुछ दिनों पहले ही विधायक पद से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा सरकार ने उन्हें नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंप दी है। इससे रिक्त हुए छतरपुर जिले के बड़ा मलहरा विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव भी प्रदेश के अन्य 26 क्षेत्रों के साथ ही होने की संभावना है। ऐसी दशा में क्षेत्र के उपचुनाव को लेकर सरगर्मी तेज होती जा रही है। कांग्रेस जहां अपनी इस जीती हुई सीट को फिर से अपनी झोली में लाने के लिए बेताब है वही भाजपा भी कोई कसर छोड़ने के मूड में दिखाई नहीं दे रहा है। भाजपा अगर अन्य रिक्त हुए सीटों की तरह विधायक पद से त्यागपत्र देने वाले को फिर से  टिकट देने के फार्मूले पर आगे बढ़ती है तो प्रद्युमन सिंह लोधी का पार्टी टिकट तय माना जा रहा है। लेकिन क्षेत्र की जनता में जिस तरह से उनके प्रति आक्रोश और अविश्वास की भावना पनपने लगी है उसके मद्देनजर किसी अन्य विकल्प पर भी विचार किया जा सकता है। 2013 मैं पार्टी से विधायक रही रेखा यादव या पिछली बार के पराजित प्रत्याशी और पूर्व मंत्री ललिता यादव के नाम पर भी गंभीरता से विचार किया जाने लगा ह

उमा भारती 2003 में बड़ा मलहरा से विधायक रही  और मुख्यमंत्री बनी थी। इसलिए क्षेत्र में उनका प्रभाव आज भी कायम है। प्रद्युमन सिंह लोधी के विधायक पद से इस्तीफा और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के पीछे उमा भारती की महत्वपूर्ण भूमिका माना जा रहा है। लोधी बाहुल्य इस चुनाव क्षेत्र में उमा भारती की भूमिका को कमतर नहीं आंका जा सकता। हाल ही में उन्होंने ऐलान किया है कि पार्टी संगठन की इच्छा के अनुरूप उपचुनाव के दौरान पार्टी के लिए चुनाव प्रचार में सक्रिय भागीदारी करेगी। इससे संकेत मिलने लगा है की प्रदेश की राजनीति में फिर से महत्वपूर्ण भूमिका में आ सकती हैं। उमा भारती जैसी बड़ी शख्सियत के लिए विधानसभा का उपचुनाव लड़ना भले ही असंभव दिखाई देता है किंतु राजनीति में सब कुछ जायज हो सकता है। ऐसी दशा में यदि उमा भारती खुद चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त करें तो पार्टी के लिए चुनाव में जीत का रास्ता सुनिश्चित हो सकता है। उनका विरोध विधायक पद छोड़ने वाले प्रद्युमन सिंह लोधी भी नहीं कर पाएंगे और उनके पार्टी प्रत्याशी बनाए जाने की दशा में पार्टी कार्यकर्ताओं के भीतर उपजने वाले असंतोष को भी कम किया जा सकता है।

जहां तक कांग्रेस का सवाल है अपने विधायक के अचानक इस्तीफे से पार्टी अभी उबर नहीं पाई है ,किंतु उपचुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी मैं वह भी पीछे नहीं है। कांग्रेस और भाजपा भी अधिकतर यहां से बाहरी प्रत्याशी को ही चुनाव लड़वाती रही है। इस बार पार्टी कार्यकर्ताओं की पुरजोर मांग पर उपचुनाव में स्थानीय प्रत्याशी उतारने पर जोर दे सकती है। जिसमें आनंद सिंह के साथ ही मंजुला देवरिया ,सुनील बन्ना और शिव प्रताप सिंह बुंदेला के नाम पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है। इस बीच पता चला है कि चुनाव जीतने योग्य मजबूत प्रत्याशी की तलाश में कांग्रेस भाजपा नेताओं पर भी डोरे डालने से परहेज नहीं कर रही है। कांग्रेस के निशाने पर पटवा शासनकाल में मंत्री रहे सुरेंद्र प्रताप सिंह, रेखा यादव और ललिता यादव भी हैं जो पार्टी के भीतर अपनी उपेक्षा से नाराज चल रहे हैं और प्रद्युमन  सिंह को टिकट देने की संभावना का पुरजोर विरोध शुरू कर चुके हैं। इसी क्षेत्र से दो बार प्रत्याशी रह चुके तिलक सिंह के नाम पर भी पार्टी फिर से विचार कर सकती है। विधायक के अचानक की स्थिति के बाद उपचुनाव को लेकर क्षेत्र में सर गर्मी लगातार तेज हो रही है क्षेत्र का पूरा राजनीतिक समीकरण उमा भारती के चुनाव लड़ने या नहीं लड़ने पर प्रभावित हो सकती है इसलिए माना जा रहा है कि चुनावी रण में उनकी उपस्थिति बहुत अहम रहेगी।

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